Friday 2 May 2014

Mere Maula.........




कब से तेरे दर पे बैठा हूँ मेरे मौला,
क्यूं तुझको नज़र मिलाने की फुर्सत नहीं है||
क्या मैं नज़र मिलाने के लायेक नहीं हूँ
या तुझ मे नज़र मिलाने की हिम्मत नहीं है||


जब टूटता है मेरे दिल का हर कोना मेरे मौला,
क्यूं तेरे दिल में हल्की सी भी हरकत नहीं है||
क्या मैं तेरे बरकत के लायेक नहीं हूँ,
या तू भी मेरी तरह डूबा गुरबत मे ही है||


जब बहते हैं मेरे आँखों से अश्क मेरे मौला,
क्यूं तेरे दिल में मेरे लिये रेहमत नहीं है||
क्या मैं तेरे उलफत के लायेक नहीं हूँ,
या बची मुझमे पेहले जैसी इबादत नहीं है||


क्या मैं नज़र मिलाने के लायेक नहीं हूँ
या तुझ मे नज़र मिलाने की हिम्मत नहीं है||

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